Women Empowerment
गाॅव से निकली सशक्तिकरण की बयार-गरीब महिलाओं का अपना बैंक-स्वयं सहायता समूह
पिछले 6 वर्षों से हमलोग अपना समूह कमौली गाॅव में चला रहे हैं जिसमें पहले मैं 4 विस्वा जमीन पट्टा पर मालिक से लेकर खेती करती थी, अब मैं 3 विघहा जमीन मालिक से पट्टे पर लेकर फूल, फल, सब्जी की खेती पूरे वर्ष भर करती हूॅ तथा अपने बच्चों को नर्सरी स्कूल में पढ़ने भेजती हूॅं। कमौली निवासी गिरजा देवी जैसी सैकड़ों महिलाएं आज महाजन के चंगुल से मुक्त होकर निर्भिकतापूर्वक स्व-रोजगार के काम में लगी हैं तथा आसपास के गाॅवों में महिला सषक्तिकरण की अलख जगा रही हैं।
टी0डी0एच0 एवं डैक्सर के सहयोग से ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा विगत कई वर्षो से दलित, मुस्लिम एवं अत्यंत पिछड़े वर्ग की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु चिरईगाॅव, चोलापुर, काशी विद्यापीठ विकास खण्डों के गाॅवों में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से स्व-आजीविका को मजबूत करने की दिषा में कार्य किया जा रहा है। कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि लगभग 2000 से भी अधिक महिलाओं के साथ चलाये जा रहे कार्यक्रम में महिलाएं स्वयं अपनी बचत करती हैं तथा उसी बचत के माध्यम से ऋण लेकर रोजगार के कार्य करती हैं जिसमें फूल, सब्जी, फल, एवं अन्य फसलों की खेती करती हैं तथा पषु-पालन, (बकरी, गाय, भैंस), मुर्गी पालन, छोटी दुकानें, फेरी पर सामान लेकर बेचना, के साथ-साथ परिवार में लगे बुनकरी के कार्य हेतु पुरूषों को भी ताना-बाना के माध्यम से सहयोग करती हैं। 150 स्वयं सहायता समूहों में षामिल 1831 महिलाओं से परिपूर्ण महिला समूहों की कुल बचत लगभग रू0 30 लाख है जिसमें से वे बार-बार रोजगार के कार्य, बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य, घरेलू आवश्यकताओं हेतु ऋण लेती हैं। अबतक कुल रूपया 90 लाख तक का ऋण का लेनदेन ये महिलायें कर चुकी हैं, कुल ऋण का 75 प्रतिशत वापस हो चुका है तथा समूहों के पास ब्याज के रूप में लगभग 1.5 लाख रूपये की पूॅजी भी मौजूद है जिसमें किसी भी सरकारी योजना या बैंक का सहयोग नहीं लिया गया है। समूह में शामिल 80 प्रतिशत से अधिक महिलायें भूमिहीन हैं लेकिन ये मई के महीनें में अपने ही गाॅव के बड़े किसानों से साल भर के लिए धन देकर पट्टे पर जमीन को ले लेती हैं तथा एक वर्ष तक उसमें कई व्यावसायिक फसलों को उगाती हैं और लगभग दुगुने से अधिक का मुनाफा लेकर फिर अगले वर्ष के लिए पट्टे पर ले लेती हैं। मालती, गिरिजा, दुर्गा, विजयलक्ष्मी, शान्ति, सरोज, कुसुमलता, सावित्री, आशा, शारदा, रमावती, मुन्नी, माया, ममता, मीरा, रेशमा, सुभावती, पूनम, गीता जैसी महिलाएं शंकरपुर, सीयों, कमौली, प्रह्लादपुर, छाॅहीं, सिंहपुर, रौना, गड़सरा, फूलपुर का नाम रौशन कर रही हैं और देश ही नहीं बल्कि विदेश के अलग-अलग हिस्सों से लोग अध्ययन करने, सीखने और महिला आर्थिक सशक्तिकरण की इस तपन को महसूस करने आने लगे हैं। जर्मनी से आये मारियन ब्रेह्मर ने तो संस्था ह्यमून वेलफेयर एसोसिएशन के साथ कई महीनें वाराणसी में रह कर इसका अध्ययन किया। महिलाओं के इस बैंक ने स्थानीय महाजनों के रीढ़ की हड्डी को तोड़ दिया।अब ये महिलायें दूसरे गाॅवों में भी प्रचार-प्रसार करके बिना छूट वाले समूहों का निर्माण कर रही हैं। वर्तमान पंचायत के चुनाव में यह समूहों का ही दम था कि संस्था के साथ जुड़े कार्यकर्ताओं एवं स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों में से 47 लोगों ने जिसमें 30 महिलायें हैं, ने पंचायत का चुनाव किसी न किसी पद पर जीता है और अब ये महिलायें अपने गाॅव में सरकारी योजननाओं को पंचायत के माध्यम से मजबूती के साथ ला रही हैं तथा प्रधान पर दबाव डालकर गाॅव के विकास का कार्य करा रही हैं।