Women Empowerment
भूमिहीनों को बनाया महिला किसान –
बैंको से जोड़ा और बढ़ाया आर्थिक स्वावलम्बन (यूनियन-रूटसेटी का संयुक्त प्रयास)
संतारा देवी (मो0 8565847829), ग्राम-सीयों, विकासखण्ड-चिरईगाॅव, सुभावती देवी (मो0 8896694407) ग्राम-कमौली, विकासखण्ड-चिरईगाॅव जैसी कुल 340 महिलाएं जो दलित एवं पिछड़ी जाति के परिवारों से हैं और लगभग भूमिहीन हैं ने पट्टे पर गाॅव के ही सम्पन्न लोगों की जमीन को वार्षिक पट्टे पर नगद भुगतान कर ले लेती हैं (मई के महीने में) और पूरे वर्ष सब्जी एवं फूल की अच्छी खेती कर बड़ें पैमाने पर लाभ प्राप्त कर रही हैं। इस कार्य में यूनियन रूट-सेटी से प्रशिक्षण कराकर प्रमाणपत्र दिलाया जाता है जिसके आधार पर किसी भी बैंक से बिना किसी गारंटी के अत्यंत कम ब्याज पर (4 प्रतिशत वार्षिक) ऋण उपलब्ध कराकर महिला किसान के रूप में स्वावलम्बी बनाया जा रहा हैं। कुल 340 प्रशिक्षित महिलाओं में यूनियन बैंक की पैगम्बरपुर शाखा द्वारा 124महिलाओं को 25000 रूपये प्रति महिला की दर से ऋण बिना किसी गारंटी के सिर्फ प्रमाण पत्र के आधार पर दिया जा चुका है जिसका प्रयोग कृषि से सम्बन्धित रोजगार सृजन के कार्य में किया जा रहा है।
मालती, गिरिजा, गुदना, दुर्गा, विजयलक्ष्मी, शान्ति, सरोज, संतारा, कुसुमलता, सावित्री, आशा, शारदा, रमावती, मुन्नी, माया, सुभावती, पूनम, गीता जैसी सैकड़ों महिलाएं शंकरपुर, सीयों, कमौली, प्रह्लादपुर, छाॅहीं, सिंहपुर में यूनियन रूट-सेटी से प्रशिक्षण प्राप्त कर बिना किसी गारंटी के बैंको से ऋण प्राप्त कर रही हैं और आजीविका के आर्थिक आधार को मजबूत कर रही हैं।
केस स्टडी नं01- कमौली निवासी गिरजा देवी (दलित-भूमिहीन) ने कहा कि पिछले 8 वर्षों से हमलोग अपना स्वयं सहायता समूह का संचालन कमौली गाॅव में चला रहे हैं जिसमें पहले मैं 4 विस्वा जमीन पट्टा पर मालिक से लेकर खेती करती थी, यूनियन बैंक आफ इण्डिया द्वारा 6 दिन का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जो प्रमाणपत्र मिला उसके आधार पर हमें यूनियन बैंक पैगम्बरपुर शाखा द्वारा 25000 रूप्ये का ऋण मात्र 4 प्रतिशत ब्याज पर प्राप्त हुआ, अब मैं 4 विगहा जमीन मालिक से पट्टे पर लेकर फूल, फल, सब्जी की खेती पूरे वर्ष भर करती हूॅ तथा अपने बच्चों को नर्सरी स्कूल में पढ़ने भेजती हूॅं। कमौली निवासी गिरजा देवी जैसी सैकड़ों महिलाएं आज महाजन के चंगुल से मुक्त होकर निर्भिकतापूर्वक स्व-रोजगार के काम में लगी हैं तथा आसपास के गाॅवों में महिला सशक्तिकरण की अलख जगा रही हैं।
केस स्टडी नं02- मैं मुन्नी देवी 58 वर्ष चिरईगाॅव विकासखण्ड के घुघरी गाॅव की रहने वाली हूॅं, घर में बनारसी साड़ी का कारोबार पुश्तैनी था लेकिन पावरलूम, चाईना और सूरत के मिलों के कपड़ों के कारण पूरा साड़ी का कारोबार खत्म हो गया, बड़े लड़के को पढ़ा नहीं पायी, भूखमरी की स्थिति से उबरने के लिए महिला समूह का सहारा लिया, गाॅव के जमींदार से 5 विस्वा जमीन पट्टे पर लिया और फूल की खेती शुरू किया, साल दर साल यह सिलसिला बढ़ता रहा, यूनियन बैंक से ऋण लेकर अब 6 बीगहा जमीन पट्टे पर लेकर सब्जी व फूल की खेती करती हूॅ, बाकी बच्चों को पढ़ाया, लड़की की शादी की, अब दूसरी महिलाओं को भी रोजगार से जोड़कर स्वावलम्बन के इस यज्ञ में आहूतियां डाल रही हूॅं। हाल ही में यूनियन बैंक के एक कार्यक्रम में बनारस के कमिश्नर की पत्नी से हमारे जैसी 10 महिलाओं ने मुलाकात कर अपनी सफलता की कहानी को बताया।
रानी देवी(मो0 8565847761), चिरईगाॅव, ने कामर्शियल फ्लोरीकल्चर में संस्था के सहयोग से प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा यूनियन रूट-सेटी के प्रमाणपत्र के आधार पर यूनियन बैंक आफ इण्डिया,पैगम्बरपुर शाखा द्वारा रू0 250000/- का ऋण फूल व सब्जी की खेती के लिए प्राप्त किया।
“Prosperity through organic farming as an income generation activity.”
Munni is doing protection of crops sitting in scaffolding |
Munni is one of the SHG members of Namo Budhay self help group and is the resident of village Ghughari of, Chiraigaon block, Varanasi. She is a farmer but not having her own farming land. She takes the 3 acre farms on hiring basis of worth Rs 24000/ which is flexible and depends on surplus facility of irrigation. She used to multi cropping in the farm like brinjal, cucumber, Marie gold flower, green chili and beans. Multi cropping is based on the season. She has taken loan from UBI, Pagamberpur branch, on the basis of their training certificate, for above said multi cropping and earns just double of her investment. She use total organic manure in the farm and due to it her crops get good sell and rate in the market. She has gotten an identification of organic farmer in the market. She does it herself involving her son. She spends her full time in her farm and used various methodology of traditional and organic farming. She has participate in the training program of organic farming.
Ms.Malti Devi and Ms.Urmila, owner and conductor of a Nursery, as a resource person gave training on nursery and plant management through Union R-Setti (a training program with certificate support by Union Bank of India). She told the tool, technique and methodology of various plants and its nursery. She also added how to care and manage the plant from beginning to end. She told about the plantation and nursery of various plants according to their adaptation and land capacity. She said that how one could do plantation in a small farm and big farm. She satisfied the farmers giving answers of the query. She explained the method of seasonal plantation like rose gudhal, genda and many more demanding promising market flowers.
Overall these training have been fruitful for all the participants. After getting training, they discussed and shared their learning with other community member and SHG members. They were very happy to gain the various technical knowledge about organic farming and medicinal plants. During their regular monthly meeting they used to share their practical learning and experiences with their companions. According to Ms. Leelavati, these learning will be helpful to do more income generation. In order to strengthening the community, this IGA based training will be boon for them.
महिला सशक्तिकरण
डाॅ0 रजनीकान्त – निदेशक, ह्यूमन वेलफेयर एसोएिशन, वाराणसी
तोड़ा सूदखोरों का जाल – गरीब महिलाओं का बैंक बेमिसाल – कारोबार – 200 लाख
गाॅव से निकली सशक्तिकरण की बयार – गरीब महिलाओं का अपना बैंक – स्वयं सहायता समूह –
न किसी सब्सिडी की चाहत है और न ही किसी छूट की, बस लालसा है तो एक ही कि हर महिला स्वरोजगार से जुड़े, स्वावलम्बी होकर आत्म सम्मानपूर्वक समाज में मजबूती से डटी रहे और अन्य निर्बलों की सबला बने, तभी जाकर असली महिला सशक्तिकरण होगा और देश आगे बढ़ेगा। सूदखोरों के चंगुल से मुक्ति और गरीब महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा टी0डी0एच0 एवं डैक्सर के सहयोग से विगत कई वर्षो से दलित, अत्यंत पिछड़े एवं मुस्लिम वर्ग की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु चिरईगाॅव, चोलापुर, काशी विद्यापीठ विकास खण्डों के गाॅवों में स्वयं सहायता समूहों (महिलाओं का अपना बचत बैंक) के माध्यम से स्व-आजीविका को मजबूत करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि लगभग 2130 से भी अधिक महिलाओं के साथ चलाये जा रहे कार्यक्रम में महिलाएं स्वयं अपनी बचत करती हैं तथा उसी बचत के माध्यम से ऋण लेकर रोजगार के कार्य करती हैं जिसमें फूल, सब्जी, फल, एवं अन्य फसलों की खेती करती हैं तथा पशु-पालन, (बकरी, गाय, भैंस), मुर्गी पालन, छोटी दुकानें, फेरी पर सामान लेकर बेचना, के साथ-साथ परिवार में लगे बुनकरी के कार्य हेतु पुरूषों को भी ताना-बाना के माध्यम से सहयोग करती हैं। 182 स्वयं सहायता समूहों में शामिल 2130 महिलाओं से परिपूर्ण महिला समूहों का कुल कारोबार लगभग रू0 200 लाख का है जिसमें से वे बार-बार रोजगार के कार्य, बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य, घरेलू आवश्यकताओं हेतु ऋण लेती हैं और वापस अपने समूह को ब्याज सहित चुकता करती हैं, पूरी पूॅजी पर उन्हीं का अधिकार होता है। इन महिला समूहों नेें किसी भी सरकारी योजना या बैंक का सहयोग नहीं लिया गया है। संगठन में शामिल 70 प्रतिशत से अधिक महिलायें भूमिहीन हैं लेकिन ये मई के महीनें में अपने ही गाॅव के बड़े किसानों से साल भर के लिए धन देकर पट्टे पर जमीन को ले लेती हैं तथा एक वर्ष तक उसमें कई व्यावसायिक फसलों को उगाती हैं और लगभग दुगुने से अधिक का मुनाफा लेकर फिर अगले वर्ष के लिए पट्टे पर ले लेती हैं। मालती, गिरिजा, गुदना, दुर्गा, विजयलक्ष्मी, शान्ति, सरोज, संतारा, कुसुमलता, सावित्री, आशा, शारदा, रमावती, मुन्नी, माया, रजिया, शकीला, जमीला, ममता, मीरा, रेशमा, सुभावती, पूनम, गीता जैसी महिलाएं शंकरपुर, सीयों, कमौली, प्रह्लादपुर, छाॅहीं, सिंहपुर, रौना, गड़सरा, ताड़ी, फूलपुर, रहीमपुर, मंगलपुर, कोटवाॅ, महमूदपुर का नाम रौशन कर रही हैं।
महिलाओं के विकास की गति को देखने एवं सीखने हेतु देश ही नहीं बल्कि विदेश के अलग-अलग हिस्सों से लोग अध्ययन करने, सीखने और महिला आर्थिक सशक्तिकरण की इस तपन को महसूस करने आने लगे हैं। जर्मनी से आये मारियन ब्रेह्मर, टेक्सास-अमेरिका के विश्वविद्यालय में महिला अध्ययन केन्द्र की चेयरपर्सन जेनिफर क्लार्क सहित कन्टेसा, कनाडा की कैथी, आबूधाबी स्थित मसदार इन्स्ट्ीय्ूट आफॅ सांइस एण्ड टेक्नोलाजी के डीन डाॅ स्काट केनेडी सहित 12 विद्यार्थी एवं हाल ही में काश्मीर से 16 लोगों का दल सहित देशके विभिन्न हिस्सों से लोग महिलाओं के इस सराहनीय कार्य को निरंतर देखने व सीखने आ रहे हैं। महिलाओं के इस बैंक ने स्थानीय महाजनों के रीढ़ की हड्डी को तोड़ दिया। अब ये महिलायें दूसरे गाॅवों में भी प्रचार-प्रसार करके बिना छूट वाले महिला समूहों का निर्माण कर रही हैं।
पंचायत चुनावों में धमक – वर्तमान पंचायत के चुनाव में यह समूहों का ही दम था कि संस्था के साथ जुड़े कार्यकर्ताओं एवं स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों में से 47 लोगों ने जिसमें 30 महिलायें हैं, ने पंचायत का चुनाव किसी न किसी पद पर जीता है और अब ये महिलायें अपने गाॅव में सरकारी योजननाओं को पंचायत के माध्यम से मजबूती के साथ ला रही हैं तथा प्रधान पर दबाव डालकर गाॅव के विकास का कार्य करा रही हैं। अब तक लगभग 5 करोड़ रूपये से अधिक सरकार की विभिन्न योजनाओं को अपने गाॅव में लागू करवाया है जिससे गाॅवों का सकारात्मक विकास हो रहा है।
महिला शक्ति नामक महिलाओं के इस संगठन ने कई पुरस्कार अपने नाम किये हैं जिसमें वोडाफोन द्वारा 10 लाख रूपये का पुरस्कार – मोबाईल फार गुड्स-2012 पुरस्कार भी शामिल है। संगठन की कई महिला सदस्यों को देश के विभिन्न हिस्सों में जाने और अपनी बात रखने का अवसर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर प्राप्त हुआ है।
केस स्टडी नं01- कमौली निवासी गिरजा देवी ने कहा कि पिछले 8 वर्षों से हमलोग अपना महिला बैंक (स्वयं सहायता समूह) कमौली गाॅव में चला रहे हैं जिसमें पहले मैं 4 विस्वा जमीन पट्टा पर मालिक से लेकर खेती करती थी, अब मैं 4 विगहा जमीन मालिक से पट्टे पर लेकर फूल, फल, सब्जी की खेती पूरे वर्ष भर करती हूॅ तथा अपने बच्चों को नर्सरी स्कूल में पढ़ने भेजती हूॅं। कमौली निवासी गिरजा देवी जैसी सैकड़ों महिलाएं आज महाजन के चंगुल से मुक्त होकर निर्भिकतापूर्वक स्व-रोजगार के काम में लगी हैं तथा आसपास के गाॅवों में महिला सशक्तिकरण की अलख जगा रही हैं।
केस स्टडी नं02- मैं मुन्नी देवी 58 वर्ष चिरईगाॅव विकासखण्ड के घुघरी गाॅव की रहने वाली हूॅं, घर में बनारसी साड़ी का कारोबार पुश्तैनी था लेकिन पावरलूम, चाईना और सूरत के मिलों के कपड़ों के कारण पूरा साड़ी का कारोबार खत्म हो गया, बड़े लड़के को पढ़ा नहीं पायी, भूखमरी की स्थिति से उबरने के लिए महिला समूह का सहारा लिया, गाॅव के जमींदार से 5 विस्वा जमीन पट्टे पर लिया और फूल की खेती शुरू किया, साल दर साल यह सिलसिला बढ़ता रहा, अब 6 बीगहा जमीन पट्टे पर लेकर सब्जी व फूल की खेती करती हूॅ, बाकी बच्चों को पढ़ाया, लड़की की शादी की, अब दूसरी महिलाओं को भी समूह से जोड़कर स्वावलम्बन के इस यज्ञ में आहूतियां डाल रही हूॅं। हाल ही में यूनियन बैंक के एक कार्यक्रम में बनारस के कमिश्नर की पत्नी से हमारे जैसी 10 महिलाओं ने मुलाकात कर अपनी सफलता की कहानी को बताया।
केस स्टडी नं03- मेरा नाम माधुरी है, 22 साल पहले चिरईगाॅव विकासखण्ड के शंकरपुर गाॅव में एक सम्पन्न राजपूत परिवार में मेरा व्याह हुआ। सामाजिक काम करने की मेरी ललक बचपन से ही मेरे अंदर थी, अतः ससुराल आने के बाद भी मैं प्रयासरत थी कि हमें वो अवसर पुनः प्राप्त हो। लगभग 12 साल पहले घर में गाॅव की ही एक महिला आयी और उसने बताया कि किस तरह से वह 10 रूपये सैकड़े पर गाॅव के ही एक महाजन के चंगुल में फॅसी है और हमसे उपाय पूछने लगी कि कैसे हमें मुक्ति मिलेगी, उसी समय हमने संकल्प लिया कि ऐसी महिलाओं के लिए हमें काम करना ही होगा। अपने ही गाॅव की दलित बस्ती में हमने बचत समूह गठन का काम शुरू किया तथा महिलाओं को इससे जोड़ना शुरू किया। शुरूआती दौर में परिवार से लेकर समाज तक घोर विरोध का सामना करना पड़ा क्योंकि एक सवर्ण परिवार की बहू उसी गाॅव की दलित बस्ती में महिलाओं से बचत कराकर अपने पैरो पर खड़ा कराने, महाजन से मुक्त कराने तथा आर्थिक रूप से स्वावलम्बन कैसे करा सकती है, यह एक विषय था जिससे स्थानीय पुरूष समाज उद्वेलित था लेकिन और धिरे-धिरे हमारा यह प्रयास आगे बढ़कर अन्य गाॅव की बस्तियों में फैेलता गया और एक आंदोलन का रूप ले लिया। हमने गाॅवों में बिना किसी सब्सिडी योजनाके तहत समूहों के कार्य को फैलाया और गाॅव गाॅव में महिलाओं का बैंक बनाकर सूदखोरों के जाल को तोड़ा और आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा। परेशानियां तो बहुत आयी क्योंकि परिवार की बड़ी बहू होने के नाते परिवार की भी पूरी जिम्मेदारी का निर्वहन करना और छोटी बहुओं मार्ग दिखाना भी था। इस पूरे अभियान में संस्था ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन ने एक मजबूत साथी के रूप में हमारा हाथ थामें रखा।